पीएमसीएच, पटना के बारे में लोग बताते हैं कि  प्रवेश द्वार पर ही ठटरी शव उठाने वाले बाँस की अर्थी बिक रहा होता है

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राकेश कुमार लेखक:लोकराज के लोकनायक

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की राज्य सरकार के अधीन के सरकारी अस्पताल बिहार के किसी सरकारी अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज से सौ करोड़ गुना बेहतर हैं, ऐसा मेरा दावा है जो मेरे व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है.

किसी सर्जरी के सिलसिले में मैं गुरु तेग बहादुर अस्पताल सह चिकित्सा महाविद्यालय(जीटीबी) में अपना ईलाज शुरू कराया. पहले सभी तरह के आवश्यक जाँच जो वस्तुत: अनिवार्य थे; कराया गया. सारे जाँच बिल्कुल नि:शुल्क हुए. तय समय पर जाँच के रिपोर्ट प्राप्त हुए. बताता चलूं कि भारी भीड़ हर काउंटर(जगह) पर मिली किन्तु उस भारी भीड़ में भी मुझे व्यवस्था दिखी जो अस्पताल को सुचारू से संचालित होने के मूल तत्व के रूप में प्राणित होते हैं.

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मुझे बड़े से लेकर छोटे डॉक्टर तक तसल्ली से रोगी से बात करते दिखे. मैंने तो डॉ अरुण गुप्ता जी और डॉ रामभरोस कुमार को एक रोगी को यहाँ तक समझाते सुना कि ज्यादा परेशान न होओ, यही ईलाज करवाओ वरना प्राईवेट अस्पतालों में सर्जरी कराने में लूट जाओगो और यहाँ से बेहतर वहाँ ईलाज भी नहीं होगा जबकि पीएमसीएच, पटना के बारे में लोग बताते हैं

कि उसके प्रवेश द्वार पर ही ठटरी(शव उठाने वाले बाँस की अर्थी) बिक रहा होता है जो रोगी को उसके इस दुनियाँ से विदाई का संकेत दे रहा होता है. कई लोगों से यह भी सुना है कि रोगी के वहाँ पहुँचते ही दलाल निजी क्लिनिक में पहुँचा देने की जुगत में लग जाते हैं.

जिस वार्ड में मेरी दाखिला हुई उसकी साफ-सफाई की व्यवस्था दिव्य थी किन्तु रोगियों के परिजनों की लापरवाही और थोड़ी व्यवस्था की लापरवाही के कारण(भीड़ के दबाव) शौचालय दिनभर में एकाध बार गंदे हो जा रहे थे किन्तु उसकी भी सफाई कराई जा रही थी.

बात 2003-04 की है. जिस जीटीबी अस्पताल की बात मैं कर रहा हूँ, वहाँ भर्ती वार्ड में एक ही बिस्तर पर दो-तीन मरीज होते थे और दिन व रात्रि कभी भी मौका मिलने पर स्नैचर रोगियों के सारे सामान उड़ा लिये करते थे. मेरे मित्र दीपक कुमार,वर्तमान I.G ,आगरा भी उसी काल में इसके शिकार हुए थे. जहाँ तक मेरा ख्याल है कि तब उनकी पोस्टिंग बतौर एसीपी हुई थी या होने वाली थी.

आज जीटीबी अस्पताल दवा समेत पूरी तरह मुफ्त और किसी भी बड़े निजी अस्तपाल से बेहतर ईलाज की सुविधा दे रहा है. बस! जीटीबी अस्पताल प्रशासन से एक ही अनुरोध है कि जिस तत्परता से जितनी बार वार्ड की सफाई का ध्यान रखवाया जाता है, उतना ही ध्यान शौचालय की सफाई पर भी दिया जाए.साथ ही, सारे सीलिंग फैन के कंडेंशर बदलवाने और इंसेक्टर किलर मशीन के होने के बावजूद भी उसका संचालन नहीं होने में सुधार करवाया जाए.

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