औरंगाबाद जनेश्वर विकास केंद्र के द्वारा अधिवक्ता संघ भवन में बीर बाल दिवस मनाया गया। दोनों बालवीर के छायाचित्र पर लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए शारदा सुमन अर्पित करते हुए उनके वीरता का स्मरण किया। इसकी अध्यक्षता कार्यकारी अध्यक्ष रामजी सिंह ने की। सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने बताया कि 26 दिसंबर जिसे साहिबजादों की शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है, सिख इतिहास और भारतीय संस्कृति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है।
इस दिन, सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के दो छोटे साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने अपनी नन्ही उम्र में भी धर्म और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।इस वर्ष, भारत सरकार ने पहली बार “वीर बच्चों का सम्मान” करने का निर्णय लिया है, ताकि साहिबजादों की महान वीरता और बलिदान की गाथा को देशभर में प्रचारित किया जा सके। नन्हे साहिबजादों की वीरता और साहस को
याद कर बच्चों और युवाओं को सिखाया जाएगा कि नैतिकता और सत्य के लिए खड़ा होना जीवन का सबसे बड़ा मूल्य है। संस्था के प्रवक्ता आदित्य श्रीवास्तव बताया कि यह निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया गया है. इसका लक्ष्य देश के युवाओं और बच्चों को उनके अद्वितीय योगदान और कार्यों के लिए सम्मानित करना।
हम सभी माननीय प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिनके कार्यकाल में इन दोनों वीर योद्धाओं की के इतिहास जो समाज से ओझल थे उन्हें समाज में जागृत करने के लिए हम सभी आभार व्यक्त करते हैं निश्चित रूप में युवा पीढ़ी को इन दोनों बाल योद्धाओं के इतिहास जानने के बाद अपने धर्म रक्षा एवं राष्ट्र रक्षा के प्रति त्याग की भावनाओं को प्रेरित करेगा।
प्रोफेसर संजीव नारायण सिंह एवं रामाधार सिंह अपने संबोधन ने कहा किवीर बाल दिवस पर हम साहिबजादों की अद्वितीय वीरता और बलिदान को याद करते हैं. छोटी सी उम्र में ही वे अपने विश्वास और सिद्धांतों पर अडिग रहे और अपने साहस से पीढ़ियों को प्रेरित करते रहे. उनका बलिदान वीरता और अपने कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता का एक शानदार उदाहरण है।
इस मौके पर प्रोफेसर संजीव नारायण सिंह, प्रोफेसर रामाधार सिंह, प्रमोद सिंह राजेंद्र सिंह कमलेश कुमार सिंह, धीरेंद्र सिंह सुरेंद्र सिंह ,संजीव सिंह लालदेव प्रसाद सिंह,दिनेश सिंह,अन्य कई लोग मौजूद थे।