मगध विश्वविद्यालय ने “भाषा पारिस्थितिकी और साहित्य” विषय पर आयोजित त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के साथ अकादमिक क्षेत्र में एक नई ऊंचाई को छुआ। सम्मेलन का समापन प्रेरणादायक विचारों के साथ हुआ। इस आयोजन में भाषा और साहित्य के बहुआयामी पहलुओं पर विशेषज्ञों और विद्वानों ने गहन मंथन किया।
मुख्य अतिथि बिहार पुलिस अकादमी के सहायक निदेशक सुशील कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि मातृभाषा न केवल हमारी पहचान है, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं का मूल आधार भी है। उन्होंने आगे कहा कि घर से जो भाषा सीखी है, उसे संरक्षित करना हर व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है। यह केवल शब्दों का सवाल नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक ज्ञान का
संरक्षण है।” उन्होंने युवाओं को अपनी मातृभाषा से जुड़े रहने और इसे संरक्षित करने के लिए सामूहिक प्रयासों की अपील की। विशिष्ट अतिथि बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य डॉ उपेंद्र नाथ वर्मा ने मगध के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मगध का इतिहास हमें विश्व पटल पर सम्मान दिलाने वाला रहा है। यह क्षेत्र केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र रहा है।
हमें अपने गौरवशाली अतीत को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि सम्मेलन ने मगध की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समझने और संरक्षित करने के लिए एक सशक्त मंच प्रदान किया है। कुलपति प्रो एसपी शाही ने विश्वविद्यालय के विकास को लेकर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के समग्र विकास के लिए प्रशासन,
शिक्षकों, छात्रों और समाज के हर वर्ग की भागीदारी आवश्यक है। एकजुटता और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से ही शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं। उन्होंने इस दिशा में विश्वविद्यालय के भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा की। भाषा किसी भी समाज को नई दिशा देने का सबसे सशक्त माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि मगध क्षेत्र का विकास यदि यहां नहीं होगा, तो कहीं और संभव नहीं है। यह क्षेत्र भारत की समृद्ध विरासत का केंद्र है।
उन्होंने सम्मेलन में प्रस्तुत विचारों और शोधों की प्रशंसा करते हुए इसे अकादमिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टियों से लाभकारी बताया। प्रति कुलपति प्रो बीआरके सिन्हा ने कहा कि शैक्षिक और शोध गतिविधियों में गुणवत्ता लाकर ही विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई जा सकती है।
भाषा इसका एक अच्छा माध्यम है। कार्यक्रम के अंत में सम्मेलन की संयोजक प्रो निभा सिंह ने सफल कार्यक्रम के लिए अतिथियों, कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव, संकायाध्यक्षों, सभी विभागाध्यक्षों तथा सम्मेलन को सफल बनाने में सहयोग करने वाले शिक्षकों को धन्यवाद दिया।