ग्रामीण क्षेत्र में एक कहावत बेहद ही प्रचलित है कि ” ऊपर से फिट फाट,नीचे मोकामा घाट। जिसका मतलब है कि बाहर से सब कुछ ठीक है लेकिन अंदर की वास्तविकता कुछ और ही तस्वीर बयां करती है। इसी कहावत को शत प्रतिशत चरितार्थ किया है औरंगाबाद का संयुक्त कृषि भवन।
बुधवार के पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे जब कार्यालय के अंदर प्रवेश किया गया तो पदाधिकारियों के कार्यालय कक्ष बेहतर नजर आए। मगर भवन के मुख्यद्वार के सामने की खाली जगह पर फैली गंदगी मुंह चिढ़ाती नजर आई। भवन के अंदर घुसते ही कई जगह पान और गुटका के पाउच मिले, सभाकक्ष भी अपनी अलग कहानी सुना रही थी। क्योंकि सभाकक्ष की कुर्सियों पर पड़ी धूल की परत और फर्श पर बिखरे खाली पड़ी प्लास्टिक की प्यालियां यह बताने को काफी थी कि इस सभाकक्ष में कई दिनों से कोई बैठक नहीं हुई थी।
सभाकक्ष से आगे बने शौचालय की तरफ जब रुख किया तो देखा कि प्रत्येक कोने में गंदगी का अम्बर था और शौचालय का उपयोग शायद काफी दिनों से नहीं हुआ था। एक शौचालय की गंदगी देखकर उल्टी सी होने लगी। ऐसा लगा कि वहां सफाई कभी हुई ही नहीं। शौचालय की दीवारें झोल के आगोश में मस्त थी और गंदगियों के साथ गलबहियां खेल रही थी। सबसे बुरी स्थिति तो वाश बेसीन की थी क्योंकि उसका उपयोग संडास की तरह किया गया था और वह मानव मल से भरा पड़ा था।
कुल मिलाकर यह कार्यालय स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ाता नजर आया। गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन से पूर्व जिले में स्वच्छता अभियान चलाया गया था और उसकी शुरुआत जिला पदाधिकारी के साथ साथ जिले के कई बड़े अधिकारियों ने हाथों में झाड़ू लेकर शहर के अदरी नदी स्थित
सूर्यकुण्ड से की गई थी और हर कार्यालय में सफाई अभियान चलाए जाने का निर्देश दिया गया था। अगर उस निर्देश का अनुपालन किया जाता तो संयुक्त कृषि भवन की स्थिति ऐसी नहीं रहती।