स्वच्छता क्रांति के महानायक थे पद्मश्री डा. बिंदेश्वरी पाठक–चाणक्य परिषद

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औरंगाबाद।चाणक्य परिषद के अध्यक्ष रामानुज पाण्डेय ,कार्यकारी अध्यक्ष अश्विनी तिवारी,महामंत्री पूर्व मुखिया संजीव कुमार द्विवेदी, योगेंद्र दुबे, ब्रजेश दुबे कोषाध्यक्ष शंभू मिश्रा, उपाध्यक्ष पूर्व मुखिया ज्ञानदत्त पाण्डेय प्रवक्ता सत्येंद्र तिवारी, जितेंद्र पाठक, युवा अध्यक्ष विभांशु मिश्रा ने सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक एवम सुलभ शौचालय के प्रणेता डा बिंदेश्वरी पाठक के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि स्वच्छता के क्रांति को दुनिया भर में स्थापित करने वाले एक युग का अंत हो गया और इनका निधन मात्र भारत की नही बल्कि पूरी दुनिया के लिए अपूर्णीय क्षति है।

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गांधी जी के स्वच्छता के नारे सिर्फ नारे ही रह जाते अगर पदमश्री डा विंदेश्वर पाठक अपने सुझबुझ से उसे कम से कम खर्च में धरातल पर नही उतारते तो गावों क्या शहरों में भी आज से पांच दशक पहले लोगों के हर घर में शौचालय की बात सोचे भी नही जा सकते थे।

मूल रूप से बिहार के ब्राह्मण परिवार में जन्मे डा पाठक के लिए शौचालय क्रांति का अभियान चलाना सहज नही था परिवार के भारी विरोध के वजूद उन्होंने इसको धरातल पर उतारने का संकल्प किया।

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पहले लोग घर तो बना लेते थे लेकिन शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता था पुरुषों के लिए तो कोई बात नहीं लेकिन महिलाओं के लिए बहुत बड़ी समस्या थी सुबह शाम को सूर्योदय के पहले या बाद में ही जा सकती थी उनके स्वास्थ्य एवं प्रतिष्ठा दोनो को लेकर जीवन दूभर था।

इस कठिनाई को डा पाठक ने महसूस किया और इसका निदान ढूंढने में लग गए और कम से कम खर्च के अपने शौचालय के मॉडल से उन्होंने लोगों को शौचालय बनाने की सुविधा उपलब्ध कराए और यह अभियान एक क्रांति बन गई।

सार्वजनिक स्थानों रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड बाजार कचहरी के निकट लोगों को खासकर महिलाओं के लिए शौचालय के आभाव में कितनी कठिनाई होती है हम सभी जानते हैं। सुलभ_इंटरनेशनल की स्थापना कर एवं सुलभ शौचालय से लोगो को सुविध ,स्वच्छता और हजारों लोगों को रोजगार भी दिए।

आलू से सोना बनाने के राजनीतिक मजाक तो खूब चलते हैं
लेकिन मल को उर्वरक बनाकर उसे सच में उसे सोना बनाने का काम तो डा पाठक ने ही किया।

डा पाठक के इस अभियान के माध्यम से भारत भर में एवं दुनिया के कई देशों को स्वच्छतापूर्ण जीवन और खासकर महिलाओं को शौचालय उपलब्ध कराकर उनके स्वास्थ्य एवं प्रतिष्ठा की रक्षा का ऐतिहासिक कार्य किए।

अपने जन्मना जाति कर्म से हटकर उन्होंने दुनिया में जो किया और दुनिया को जो दिया उसके लिए इसके लिए वे सदैव स्मरण किए जायेंगे।

चाणक्य परिषद उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट करती है और उन्हे विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती है ईश्वर उन्हे उत्तम लोक एवं परिजनों को दुख सहने की शक्ति दे।

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