दाउदनगर(23 मार्च 2024):-प्रशासनिक अनुमति नहीं मिल पाने के कारण आज एक सादे समारोह में यहां याद किए गए शहीद-ए-आजम भगत सिंह एवं उनके साथी राजगुरु एवं सुखदेव ! आज दाऊदनगर के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि यह कार्यक्रम एक निजी मकान में बंद दरवाजे के अन्दर करना पड़ा है । फिर भी इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज के गणमान्य लोग, आम नागरिक एवं विद्यालयों के बच्चे शामिल हुए।
उपस्थित सारे लोगों ने शहीदों के सम्मान में खड़े होकर दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि अर्पित करने के पश्चात उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए ! तत्पश्चात शहीदों के सम्मान में यहां आयोजित एक श्रद्धांजलि सभा का विधिवत उद्घाटन दाऊदनगर के पूर्व चेयरमैन धर्मेन्द्र कुमार ने किया तथा उन्होंने अपने सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किए।
उन्होंने अपने उद्बोधन में यह बताया कि आज भगत सिंह और उनके साथियों का शहादत दिवस ऐसे समय में मनाया जा रहा है जब देश में बचे-खुचे सीमित लोकतंत्र को भी आज समाप्त करने की साजिश रची जा रही है । उन्होंने कहा कि आज देश की विभिन्न राजनीतिक पार्टियां इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पर पूंजीपतियों से खुलेआम घुस वसूल रही हैं तथा देश की प्रमुख जांच एजेंसियों का इस्तेमाल जबरदस्ती पार्टी फंड इकट्ठा करने के लिए किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि आज देश के लोकतंत्र को मौजूदा फासीवादी निजाम बिल्कुल समाप्त कर तानाशाही स्थापित करना चाह रही है जिसे हर हाल में रोकना होगा ।
इस श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए संस्थान के संस्थान के सचिव सत्येन्द्र कुमार ने कहा कि हिन्दुस्तान को एक समाजवादी राष्ट्र बनाने तथा देश में जाति,धर्म,क्षेत्र,भाषा, नस्ल,इत्यादि के नाम पर आज चलाई जा रही राजनीति का विरोध करते हुए देश के लोगों के बीच अमन और भाईचारा के लिए कार्य करना हीं शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महिला नेत्री मीना सिंह ने कहा कि भगत सिंह और उनके साथियों का सपना था कि समाज में महिलाओं को बराबरी का स्थान मिले लेकिन आज महिलाओं को संसद में आरक्षण महज लॉलीपॉप दिखलाया जा रहा है तथा उनके खिलाफ विभिन्न प्रकार की हिंसा में लगातार वृद्धि हो रही है ।
शहीद-ए-आजम की इस श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए गोह कॉलेज के गणित विभाग के विभागाध्यक्ष – राजकमल कुमार सिंह ने कहा कि जब तक देश में समान शिक्षा व्यवस्था लागू नहीं होगा तब तक देश भगत सिंह के सपनों का हिन्दुस्तान बनाना संभव नहीं होगा लेकिन मौजूदा हुक्मरान ऐसा नहीं करना चाहते हैं।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए स्थानीय समाजसेवी राजाराम सिंह ने कहा कि भगत सिंह एवं उनके साथियों की कुर्बानी आजादी की लड़ाई का वह महत्वपूर्ण मोड़ था जहां से बिल्कुल यह तय हो गया था कि अब भारत की आजादी को दुनियां की कोई ताकत रोक नहीं सकती । 23 मार्च 1931 को जब भगत सिंह एवं उनके साथियों ने अपना बेशकीमती बलिदान दिया था तभी यह तय हो गया था कि देश की आजादी का लक्ष्य अब ज्यादा दूर नहीं है ।
इनके अलावा इस सभा को संस्थान के कोषाध्यक्ष- संजय कुमार सिंह,स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता- कयूम अंसारी,औरंगजेब आलम,अरविंदो मिशन स्कूल का विद्यार्थी विवेकचंद्र सैनी,कशिश कुमार,युवराज पांडेय,शिक्षिका सिम्पी पटेल,शिक्षक बिनोद भगत,बसंती देवी,राजकुमार सिंह, इत्यादि लोगों ने भी संबोधित किया । इसके पूर्व आगत अतिथियों के स्वागत में विद्यालय की छात्राएं कुमारी सुषमा सैनी एवं स्नेहा कुमारी ने स्वागत गान प्रस्तुत किया ।
अन्त में उपस्थित सभी लोगों ने सर्वसम्मति से एक मांग प्रस्ताव पारित किया जिसमें– -नसरीगंज दाऊदनगर सोन-पुल का नामकरण ‘शहीद भगत सिंह सेतु’ करने/पूरे देश में शहीद भगत सिंह एवं उनके साथियों का शहादत दिवस- 23 मार्च को सार्वजनिक छुट्टी घोषित करने/संसद भवन में तीनों शहीदों की तस्वीरें लगाने/ इन्हें आतंकवादी घोषित करने वाले अंग्रेजी दस्तावेजों को रद्द कर के इन तीनों शहीदों को ‘राष्ट्रीय-शहीद’ घोषित करने/देश की सभी राज्यों की राजधानियों में शहीद-ए-आजम एवं उनके साथियों का स्मारक निर्माण करवाने/शहीद-ए-आजम की सभी रचनाओं को हिन्दी एवं अंग्रेजी में सरकारी खर्च पर मुद्रित-प्रकाशित करवाकर उन्हें देश के सारे मान्यताप्राप्त पुस्तकालयों में मुफ्त में उपलब्ध करवाने/शहीद-ए-आजम और इनके साथियों की जीवनी को सरकार द्वारा स्कूलों,कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल करवाने,इत्यादि मांगें शामिल हैं।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष- कृष्णा प्रसाद चंद्रवंशी तथा संचालन- सचिव सत्येन्द्र कुमार ने किया । इसके बाद इन्कलाब जिंदाबाद / शहीद-ए-आजम भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव अमर रहें /इत्यादि गगनभेदी नारों के साथ कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गई।