औरंगाबाद जिले के सुप्रसिद्ध सूर्य मंदिर देव जो एक पर्यटन स्थल के साथ ही ऐतिहासिक पुरातात्विक धरोहर के रूप में चिन्हित है , काफी दिनों से स्थानीय लोगो के द्वारा मंदिर के प्रति लोगो मे बढ़ती श्रद्धा और महत्व को देखते हुए मंदिर परिसर में पूर्व के लगे संगमरमर को बदल कर गर्मी के दिनों में कम गर्म होने वाले पत्थर को लगाने की मांग होती रही है।
पिछले दिनों श्री सीमेंट कम्पनी के द्वारा CSR फंड से मंदिर परिसर में मार्बल लगाने का कार्य प्रारम्भ हुआ । श्री सीमेंट के द्वारा लगभग 30 लाख के खर्च का अनुमान के साथ पत्थर लगाने की सहमती प्रदान किया , जिला पदाधिकारी द्वारा बिना तकनीकी परामर्श एवं व्यहारिक जांच के मंदिर परिसर में लखा पत्थर लगाये जाने की अनुशंसा कर दी । जिला पदाधिकारी के निर्देश पर श्री सीमेंट ने मंदिर परिसर में लखा पत्थर लगाये जाने का कार्य 25 अगस्त से प्रारम्भ कर दिया,
कुछ ही दिनों में उक्त लखा पत्थर का असलियत सामने आया और पत्थर का फिसलन और अत्यधिक गर्म होने के कारण स्थानीय लोगो के साथ साथ आने वाले श्रद्धालुओं ने आपत्ति दर्ज कराया इसके बाद जिला प्रशासन ने काम बंद कराया । काम नही होने और पूर्व के लगे संगमरमर को उखाड़ दिए जाने से मंदिर परिसर में परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हो रही । आज के 15 वां दिन देव में चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व कार्तिक छठपूजा प्रारम्भ होगा ,
इस दौरान बिहार के साथ आस पास के कई राज्यो के छठव्रती एवं श्रद्धालु देव आते है । आने वाले श्रद्धालुओं में एक बड़ी संख्या महिलाओं की होती है जो 36 घण्टे का निर्जला उपवास कर भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर मंदिर में दर्शन पूजन को आते है । मंदिर की अव्यवस्था एवं जिला प्रशासन के साथ सूर्य मंदिर न्यास समिति की उदासीनता निष्क्रियता से आने वाले श्रद्धालुओं के सुविधापूर्ण मंदिर दर्शन पर सवालिया निशान बन गया है ।
आखिर जिला पदाधिकारी कब तक मंदिर परिसर को सुव्यवस्थित करा पायेंगे ? आखिर बिना तकनीकी परामर्श एवं उचित जांच के जिला पदाधिकारी ने लखा पत्थर लगाये जाने की सहमति क्यो दी ? और सूर्य मंदिर न्यास समिति ने समय रहते इस पर संज्ञान क्यो नही लिया ? अब 15 दिनों में मंदिर परिसर को कैसे सुगम बना कर मंदिर की गरिमा और उसकी प्रसिद्धि के अनुरूप सुगम और सुंदर बनाया जा सकेगा ?
धार्मिक न्यास पार्षद एवं पर्यटन विभाग बिहार सरकार को तत्काल पहल कर इस अव्यवस्था के लिये जवाबदेही तय कर दोषी व्यक्ति या पदाधिकारी के ऊपर आवश्यक कार्यवायी करना सुनिश्चित किया जाये ।