अखिल भारतीय कवि-सम्मेलन में औरंगाबाद के काव्यकारो ने मचाई धूम

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रांची के मोहराबादी स्थित आड्रे हाउस में अखिल भारतीय कवि- सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे कवि-कवित्रियों ने अपनी दमदार प्रस्तुतियों के माध्यम से दर्शकों-श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि के रूप में मंचस्थ राज्यसभा सदस्य श्रीमती महुआ माजी, ओमप्रकाश प्रीत एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया.

आयोजक का दायित्व समृद्ध झारखंड एवं सेट फाउंडेशन ने सम्हाला। आगत अतिथियों का स्वागत अंग-वस्त्र, पुष्पगुच्छ, प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति-पत्र देकर किया गया। चर्चित कवयित्री डा विभा सिंह की सरस्वती-वंदना के साथ कवि-सम्मेलन की विधिवत शुरुआत हुई. उन्होंने “मुट्ठी में बंद ताबिरो तकदीर हो गई, हटती नहीं निगाह वह तस्वीर हो गई” नामक गजल की प्रस्तुति देकर दर्शकों-श्रोताओं का मन मोह लिया.युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत कवि

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नीलोत्पल मृड़ाल ने- “स्कूलों की दीवारों पर जां दिल बनाने वाले लड़के, चलती तीरों को हंसके अपने दिल पर खाने वाले लड़के” नामक गीत की प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया. हास्य-व्यंग्य के बादशाह बादशाह प्रेमी के मुक्तक – “सुना है इश्क में गधे भी सूखी घास खाते हैं, वे पागल लोग हैं जो प्यार में सल्फास करते हैं” की प्रस्तुति पर पूरा सदन तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.

नागेंद्र केसरी की कविता- “इक नन्हा बच्चा सोया था, मीठे सपनों में खोया था” को सुनकर दर्शक भाव-विह्वल हो गये. कवि चंदन द्विवेदी की पंक्तियां- “तुमको पाना तुम तक जाना अच्छा लगता है, हर दिन का हर एक बहाना अच्छा लगता है” ने उपस्थित दर्शकों को खूब गुदगुदाया। मशहूर शायर इकबाल अख्तर दिल ने गजल की प्रस्तुत देते हुए कहा कि- “कहां हम इधर या उधर बोलते हैं, मिलाकर नजर से नजर बोलते हैं” जिसपर श्रोता गण मंत्र मुग्ध हो गये. अपने

अध्यक्षीय उद्बोधन में नाम के विपरीत गुण वाले व्यक्तियों पर चुटिला व्यंग्य करते हुए धनंजय जयपुरी ने कहा कि-“कोयल जैसा रूप है चंदा कहते लोग, अगद राय की देह में दुनिया भर के रोग. शायर आफताब राणा के कुशल संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन ने खूब वाहवाहियां बटोरी.

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