औरंगाबाद के सदर विधायक गुरुवार को उस वक्त उग्र हो गए जब दर्जनों की संख्या में स्थानीय लोग अंचल से संबंधित समस्या लेकर उनके आवास पर आयोजित जनता दरबार में पहुंचे थे। स्थानीय लोगों एवं किसानों की बातें सुनकर सदर विधायक ने औरंगाबाद के सदर अंचलाधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। ऐसी स्थिति में आक्रोशित होकर विधायक सभी को साथ लेकर के सदर प्रखंड कार्यालय पहुंचे और कार्यालय के
बाहर ही धूप में खुले आसमान के नीचे धरना पर बैठ गए। जनता की समस्या को लेकर विधायक ने धूप की तेज तपिश की फिक्र नहीं की। विधायक के धरना पर बैठा देख अपनी समस्या लेकर अंचल कार्यालय पहुंचे अन्य किसानों एवं स्थानीय लोगों ने भी उनका साथ दिया और वे भी अंचलाधिकारी के विरुद्ध वहां बैठ गए। स्थानीय लोगों ने इस दौरान विधायक को अपनी समस्या से अवगत कराया और कहा कि महीनों दौड़ने के बाद भी उनका काम नहीं हो रहा है।
अंचल कार्यालय के कर्मियों द्वारा बेवजह उन्हें परेशान किया जा रहा हैं। विधायक के धरना पर बैठने की सूचना पर जिले के उप समाहर्ता एवं एलआरडीसी भागे भागे अंचल कार्यालय पहुंचे और अंचल कर्मियों को सभी किसानों एवं अन्य लोगों का आवेदन लेने को कहा और 20 दिन के अंदर सभी के मामलों का निराकरण की बात कहकर विधायक को पूरे मामले की जानकारी देने का आश्वासन दिया। विधायक ने अधिकारियों से कहा कि औरंगाबाद विधानसभा
अंतर्गत दर्जनों ऐसे कार्य योजना है जिनका अनापत्ति प्रमाण पत्र नही मिला है और अनापत्ति प्रमाण पत्र नही मिलने के कारण आगे के विकास कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है। विकास योजनाओं से संबंधित सभी फाइलों को भी अभिलंब ठीक करने के लिए संबंधित पदाधिकारी को विधायक ने कड़े लहजे में कहा। सदर विधायक ने कहा कि यदि ब्लॉक एवं अंचल कार्यालय अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं लाता हैं तो मजबूरन उन्हें हर सप्ताह में एक दिन औरंगाबाद और एक दिन देव के अंचल कार्यालय में जनता दरबार लगाना पड़ेगा।
विधायक ने कहा कि अंचल कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर हैं जिसका उदाहरण बीते। दिनों हुए 20 सूत्री की बैठक में देखने को मिला जब वहां लोगों द्वारा यह कहा गया कि अंचल कार्यालय अपने यहां के कार्यों का एक रेट लिस्ट टांग दे ताकि किसान उतनी राशि लेकर आए और अपना काम कर सके। इसके आलोक में प्रभारी
मंत्री ने अंचल के मामलों को लेकर अलग से बैठक करने की बात भी कही थी। लेकिन उसके बाद भी यहां की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं हुआ और किसान अपने जमीन के परिमार्जन, जमाबंदी सहित कई मामलों के निराकरण के लिए दाऊद लगा रहे है और हमारे मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं।