भारतमाला परियोजना अंतर्गत निर्माण हो रहे वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे हेतु किया जा रहा अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण, अंचल कार्यालयों में भारी भ्रष्टाचार, परिमार्जन प्लस के माध्यम किसानों से लूट आदि मूद्दों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन औरंगाबाद से जुड़े किसानों ने अंचल कार्यालय नबीनगर पर धरना दिया ।
इस धरने की अध्यक्षता किसान व पूर्व मुखिया बलराम सिंह उर्फ भोला सिंह ने तथा मंच संचालन भाकियू के जिला प्रभारी विकास सिंह ने किया ।
भारतमाला परियोजना हेतु हो रहे भुमि अधिग्रहण को किसानों नें बिल्कुल अनुचित अवैधानिक और अन्यायपूर्ण बताया । दूसरी तरफ़ अंचल कार्यालय में भारी भ्रष्टाचार और किसानों से लूट के सवालों को कई किसानों ने एक स्वर में सरकार प्रायोजित अन्याय बताया ।
धरना का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के जिला संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने किसानों को बिना मुआवजा दिए उनकी जमीनों पर प्रशासन द्वारा काम लगाने का कड़ा विरोध करते हुए बताया कि एक ही जिला और एक ही अंचल में सड़क निर्माण के लिए हुए भूमि अधिग्रहण में एक तरफ पोला और डिहरी गांव के किसानों को प्रति डिसमिल 30620 रु के दर से चार गुणा करके प्लस ब्याज राशि दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ भारतमाला के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को सरकार मात्र 8000 रु की दर से मुआवजा देना चाहती है जो बेहद कम है ।
श्री सिंह ने यह भी बताया कि अभी हाल ही में भूमी सुधार एवं राजस्व मंत्रालय के वरीय सचिव दीपक कुमार नें भूमी अधिग्रहण में आ रही समस्यावों को सुलझाने के लिए सभी जिला पदाधिकारियों को पत्र निर्गत कर आदेश दिया है कि वो अपने अपने जिले में पाँच सदस्यीय टीम गठित करें जो भूमि को सात प्रकार से वर्गीकरण करते हुए जमीनों का पुनर्मूल्यांकन कर उचित दर तय करेंगे । एक पखवाड़ा बित जाने के बाद भी डीएम की उदासीनता के कारण किसानों को धरातल पर इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है ।
धरना में आए पचमो गांव निवासी किसान रवि दुबे ने सरकार से सवाल पूछते हुए बताया कि हमारी जमीनों का अधिग्रहण का गजट प्रकाशन 2022 में हुआ , मुआवजा राशि का वितरण 2025 में शुरू हुआ है जबकि मुआवजा राशि के लिए दर 2012 के सर्किल रेट से तय किया गया है । यह किसानों से जमीन हड़पने का अंग्रेज नीति है और हम सरकार की मनसा को सफल नहीं होने देंगे ।
भारतीय किसान यूनियन के सदस्य राज कुमार सिंह ने लोकतांत्रिक ब्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश की सरकार ने उद्योगपति मित्रों को सोलह लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया, सरकार का दिनरात प्रचार करने वाले जी न्यूज़ के खरबपति मालिक सुभास चन्द्रा का सात हजार करोड़ माफ कर दिया, दस लाख करोड़ से अधिक रुपया देकर नीरव मोदी,मेहुल चौकसी, विजय माल्या, नितिन संदेसरा, ऋषि अग्रवाल, जतिन मेहता जैसे राष्ट्रीय चोरों को देकर विदेश भगा दिया !
सड़क निर्माण कंपनियां भाजपा को एलेकटोरल बांड के माध्यम से रिश्वत दी और उनका प्राक्कलित राशि को पंद्रह करोड़ तीस लाख प्रति किलोमीटर से बढ़ाकर प्रति किलोमीटर छतीस करोड़ कर दिया जाता है पर किसान को उनकी जमीनों के बदले उचित मुआवजा देने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है ।
धरना में आए बेल बीघा निवासी गुप्तेश्वर यादव ने बताया कि हमारे पास बहुत थोड़ी जमीन है और जो है वह गांव के बहुत करीब रोड से सटे बेशकीमती जमीन है जो वर्तमान समय निबंधन कानून के मानक से व्यवसायिक और आवासीय है लेकिन सरकार हमारी सारी जमीनों को भीठ बनाकर भीठ से भी कम मुआवजा दे रही है । श्री यादव ने कहा कि इस दर से अगर हमे मुआवजा दिया जाता है तो मेरे परिवार के सामने जीवन यापन की समस्या उत्पन्न हो जाएगी । अगर हमारे साथ न्याय नहीं हुआ तो हम आत्मदाह कर लेंगे ।
भूतपूर्व सैनिक नरेंद्र राय ने अंचल कार्यालय में भारी भ्रष्टाचार का उजागर करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी काम ना करने का पगार लेते हैं और काम करने का रिश्वत ! अब बिहार को जरूरत है कि सारे बिहारी रोड पर आवें सत्ता से आरपार की लड़ाई शुरू करें ।
इस धरना में अनिरुद्ध पांडेय, चंद्रमोहन तिवारी, प्रमोद सिंह,इंद्रदेव पांडेय, बिजेंद्र मेहता, रणविजय सिंह, रवि दुबे, अमरेश दुबे, कृष्ण दुबे आदि सैकड़ों किसान उपस्थित थे ।