बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 105 साल पूरे होने पर विचार गोष्ठी का किया गया आयोजन 

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जिला मुख्यालय औरंगाबाद की महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में महाराणा प्रताप चौक के समीप संस्था के सदस्यों द्वारा हिंदी भाषा के विकास में विशेष योगदान देने में महती भूमिका निभाने वाली बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 105 पूरे होने पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

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जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी का संचालन संस्था के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी द्वारा किया गया। हिंदी भाषा एवं साहित्य के विकास में साहित्य सम्मेलन का बहुमूल्य योगदान विषयक गोष्ठी का विषय प्रवेश अवकाश प्राप्त प्रोफेसर डॉ शिवपूजन सिंह ने किया। वक्ताओं ने कहा कि इस संस्था का हिंदी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।

आज हिंदी भाषा को जो भी समृद्धि प्राप्त है उसकी भूमिका में सम्मेलन ने सराहनीय कार्य किए हैं।बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के स्थापना में प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद,लक्ष्मी नारायण सिंह,मथुरा प्रसाद दीक्षित,बाबू बैजनाथ प्रसाद सिंह,पीर मोहम्मद यूनुस,लतीफ हुसैन नटवर,पंडित दर्शन केसरी पांडेय, जगन्नाथ प्रसाद के अथक प्रयास से हुई थी।

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सम्मेलन के गठन के पश्चात बिहार में दर्जनों साहित्यकारों ने वैश्विक स्तर पर हिंदी साहित्य को क्षितिज पर पहुंचाने का कार्य किया।राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर,आचार्य शिवपूजन पूजन सहाय,रामवृक्ष बेनीपुरी,केदारनाथ मिश्र, मोहनलाल महतो,हंस कुमार तिवारी,आरसी प्रसाद सिंह, कलक्टर सिंह सरीखे साहित्यकारों ने हिंदी भाषा के विकास में सम्मेलन के माध्यम से विशेष भूमिका निभाई।

आज के गोष्ठी में पूर्व प्राचार्य डॉ सी एस पांडेय,शिव शिष्य पुरुषोत्तम पाठक,लवकुश प्रसाद सिंह,अर्जुन सिंह प्रथम अर्जुन सिंह द्वितीय, रामभजन सिंह,अशोक कुमार सिंह,सिंहेश सिंह उदय प्रताप सिंह,हरेंद्र कुमार सिंह राम सुरेश सिंह, अलखदेव सिंह सहित अन्य उपस्थित थे।

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