एक नहीं दो नहीं एक दर्जन से अधिक इस संस्थान ने दिया है टॉपर्स 

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औरंगाबाद ही नहीं बिहार में वाणिज्य की पढ़ाई की प्रमुख संस्था सचदेवा कॉमर्स क्लासेज एक बार फिर वाणिज्य संकाय में टॉपर्स देने की कवायद में जुट गया है। गौरतलब कि संस्था ने पिछले दस वर्षों में एक दर्जन से अधिक टॉपर देकर बिहार में एक अलग ही पहचान बनाई है। वर्ष 2014 में संस्था के पियूष सिन्हा ने छठा एवं अभिषेक कुमार ने दसवां स्थान प्राप्त कर बिहार के शिक्षा जगत में हलचल मचा दी।

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उसके बाद संस्थान के प्रतीक कुमार ने वर्ष 2018 में पांचवा, वर्ष 2021 में कोरिया काल की त्रासदी के बावजूद सुगंधा गुप्ता ने पहला एवं शाहिमा बानों ने चौथा स्थान प्राप्त कर एक बार फिर बिहार में तहलका मचाया। फिर संस्थान ने वर्ष 2023 में तीन टॉपर्स दिए। इनमे रजनीश पाठक ने पहला, तनुजा सिंह ने दूसरा एवं विधि सिंह ने चौथा स्थान प्राप्त कर बिहार में औरंगाबाद की धाक जमा दी। वर्ष 2023 में इस संस्था के 16 बच्चे टॉपर्स की श्रेणी में अपनी

जगह बनाई और जिनकी तीन दिनों तक विधिवत काउंसिलिंग की गई। लेकिन लैंग्वेज और लिट्रेचर में सिर्फ तीन ने ही बेहतर किया और वे सफल हुए। वर्ष 2024 में पांच बच्चे टॉपर्स की श्रेणी में सेलेक्ट हुए। लेकिन सबकुछ सही होने के बाद लैंग्वेज एवं लिटरेचर तथा साक्षात्कार प्रेजेंटेशन में बच्चे अपनी बेहतर उपस्थिति नहीं दर्ज कर पाए और टॉप टेन की श्रेणी में जगह नहीं बन पाए। लेकिन संस्थान ने वर्ष 2025 की परीक्षा अपने रिकॉर्ड को बरकरार रखने के

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लिए कड़ी मेहनत कर रही है। संस्था ने दो वर्ष तक न सिर्फ छात्र छात्राओं को विषयगत पढ़ाई कराई बल्कि लैंग्वेज एवं लिट्रेचर तथा साक्षात्कार पर भी विशेष फोकस किया। यही कारण है कि आज इस संस्था के सभी बच्चे बेहतर प्रदर्शन की होड़ में लगे हुए हैं। संस्था के छात्र छात्राएं टॉप टेन में जगह बना सके उसके लिए संस्थान के निदेशक धीरज सिंह सचदेवा ने हर उस कमी को दूर करने की कोशिश की जो उनके प्रगति में बाधक बनने वाले थे।

संस्था लगातार 30 टेस्ट लेकर बच्चों के हृदय में परीक्षा के दौरान उत्पन्न भय को समाप्त करने में सफल होती दिख रही है और यहां आयोजित परीक्षा के दौरान बच्चों ने भी इस बात को स्वीकार किया कि टेस्ट के माध्यम से विषयगत शंकाएं न सिर्फ समाप्त हुई बल्कि लैंग्वेज एवं लिटरेचर पर पकड़ बनी और राइटिंग में भी सुधार हुआ। क्योंकि राइटिंग भी बेहतर मार्क्स प्राप्त करने में बाधक बनते थे। परीक्षा के दौरान सभी बच्चे आत्मविश्वास से लबरेज थे और टॉप टेन में जगह बनाने के प्रति आशान्वित हैं।

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