जबरन जमीन कब्जे की कोशिश नाकाम, किसानों के संघर्ष के आगे झुका प्रशासन 

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किसानों के विरोध के आगे बैरंग लौटे अंचलाधिकारी 

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औरंगाबाद जिले के नबीनगर प्रखंड अंतर्गत पाण्डेय कर्मा गांव में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत हो रहे जमीन अधिग्रहण के दौरान प्रशासन और किसानों के बीच गंभीर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। CO निकहत प्रवीन करीब दर्जन भर छोटी गाड़ियां , दर्जनों PNC कंपनी की बड़ी मशीनें और दो बस पुलिसबल और अन्य अधिकारियों के साथ जबरन किसानों की जमीन पर कब्जा करने पहुँची थीं।

किसानों का कहना था कि जब तक उन्हें उनकी जमीन का उचित और न्यायसंगत मुआवजा नहीं मिलेगा, वे एक इंच जमीन नहीं देंगे ,चाहे इसके लिए जान ही क्यों न देनी पड़े।

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स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन के जिला संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह, वरिष्ठ किसान नेता नरेंद्र राय तथा राजकुमार सिंह मौके पर पहुँच गए। किसानों और प्रशासन के बीच कई बार तनातनी की स्थिति बनी, परंतु किसानों की एकता और संकल्प के आगे प्रशासन को पीछे हटना पड़ा। किसानों ने न केवल जमीन पर कब्जा रोका, बल्कि ग्रेडर और अन्य मशीनों को भी एक इंच नहीं चलने दिया।

भाकियू के जिला संयोजक बशिष्ठ प्रसाद ने बताया कि भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के अपर सचिव दीपक कुमार ने पत्र निर्गत कर सभी जिलाधिकारियों को भुमि अधिग्रहण में आ रही समस्यावों को लेकर पांच सदस्यीय समिति का गठन करने का निर्देश दिया है जो जमीनों का सात प्रकार से वर्गीकरण कर नए सिरे से दर निर्धारण करेंगे लेकिन यहां उनके आदेश का कोई पालन नहीं हो रहा है

इसके बावजूद प्रशासन द्वारा किसानों को दरकिनार कर जबरन भूमि अधिग्रहण करना संविधान और लोकतंत्र के विरुद्ध है। श्री सिंह ने बताया कि इसी परियोजना अंतर्गत धनिबार के किसानों को मगध कमिश्नरी के कमिश्नर ने प्रति डिसमिल 30620 रुपया का चार गुना मुआवजा दर तय किया है । सुप्रीम कोर्ट का आदेश है एक परियोजना एक दर , हम सरकार से मांग करते हैं कि जिले के तमाम प्रभावित किसानों को तीस हजार छे सौ बीस रू के दर से चार गुणा मुआवजा सरकार दे ।

वहां उपस्थित भाकियू सदस्य राजकुमार सिंह ने कहा कि बिहार सरकार ने तीन चार माह पूर्व घोषणा की थी की जिस वर्ष के सर्किल रेट से दर तय किया गया है उस वर्ष से हर साल दस प्रतिशत बढ़ोतरी कर नोटिफिकेशन वर्ष में जो राशि होगी वही दर किसानों को मिलेगा । उल्लेखनीय है कि दर 2012 के सर्किल रेट से तय किया गया है जबकि नोटिफिकेशन 2022 में हुआ ।

इस आदेश का धरातल पर कोई पालन नहीं हो रहा है ।

मौके पर उपस्थित प्रभावित किसान गुप्तेश्वर यादव ने बताया कि मेरे पास परिवार की आजीविका के लिए थोड़ी ही जमीन है जो लगभग सब जमीन एक्सप्रेसवे में जा रहा है । उन्होंने बताया कि हमारी सारी जमीन पक्की रोड किनारे है जो आवासीय और ब्यवसायिक भूमि है पर उसका मुआवजा भीठ का दिया जा रहा है जो बेहद ही कम है । इस अधिग्रहण से हमारे परिवार के सामने जीवन जीने पर प्रश्न खड़ा हो गया है । श्री यादव ने कहा कि अगर हमें उचित मुआवजा नहीं मिला तो हम पूरा परिवार आत्मदाह कर लेंगे!

पांडेय कर्मा के स्थानीय किसान कमता पांडेय ने बताया कि हमारे गांव के एक भी किसान को एक भी रुपया मुआवजा नहीं मिला है फिर भी जिलाधिकारी हमारी जमीनों पर जबरन कब्जा करने सीओ को बार बार भेज दे रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

श्री पांडे ने बताया कि अखबारों में सरकार के बड़े बड़े दावे छपते हैं पर धरातल पर कुछ भी लागू नहीं होता ।

भारतीय किसान यूनियन स्पष्ट करती है कि जब तक किसानों को सम्मानपूर्वक मुआवजा नहीं मिलेगा, कोई भी कार्य नहीं होने दिया जाएगा। यह सिर्फ जमीन की लड़ाई नहीं, यह आत्म-सम्मान और अधिकार की भी लड़ाई है !

मौके पर अवधेश प्रसाद सिंह, नरेंद्र राय,अनिरुद्ध पांडेय, शत्रुघ्न पांडेय, नीतीश पांडेय, अमरेंद्र पांडेय, रोहित पांडेय, पप्पू तिवारी, ओमप्रकाश शर्मा, सुदर्शन साव, विजय यादव, रवि दुबे आदि के साथ सैकड़ों किसान मौजूद थे।

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