औरंगाबाद। जिला मुख्यालय औरंगाबाद के बिराटपुर मुहल्ले में रविवार को अधिवक्ता, साहित्यकार, लेखक एवं गायक अनिल कुमार चंचल के आवास पर जिले में संगीत के क्षेत्र में स्थापित संस्थान दानिका संगीत महाविद्यालय की एक और शाखा का उद्घाटन किया गया। इस दौरान अनिल कुमार चंचल रचित पुस्तक लहरों पर लहर का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना दीप प्रज्ज्वलन एवं फीता काटकर की गई।
लोकार्पण एवं उदघाटन हिंदी दैनिक नवबिहार टाइम्स के प्रधान संपादक कमल किशोर, पुस्तक लहरों पर लहर के लेखक अनिल कुमार चंचल,अधिवक्ता अजय कुमार संतोष, सीतयोग के सचिव राजेश कुमार सिंह, औरंगाबाद के विधायक प्रतिनिधि प्रदीप कुमार सिंह, जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री धनंजय जयपुरी, शब्दाक्षर के प्रांतीय सचिव विनय मामूली बुद्धि, शब्दाक्षर के जिलाध्यक्ष नागेन्द्र केशरी, कवि अनुज बेचैन, जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी, शिक्षक नेता अशोक पांडेय ,दानिका संगीत महाविद्यालय के निदेशक डॉ रविंद्र कुमार, कैप्टन निलेश कुमार एवं मुंबई की प्रसिद्ध डाइटिशियन निमिषा सहित अन्य लोगों ने फीता काटकर एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
संबोधन के क्रम में हिंदी दैनिक नवबिहार टाइम्स के प्रधान संपादक कमल किशोर ने लोकार्पित पुस्तक की चर्चा करते हुए कहा कि श्री चंचल जी ने अपनी लेखनी से न सिर्फ स्व प्रदीप रौशन को अपनी श्रद्धांजलि दी, बल्कि साहित्य के क्षेत्र में कदम रख रहे नवांकुरों को उनकी लेखनी को समझने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि श्री चंचल औरंगाबाद के साथ साथ मुंबई में भी साहित्य एवं संगीत को एक अलग दिशा प्रदान कर रहे हैं।
दानिका संगीतालय के निदेशक की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ रबिंद्र आज की तारीख में परिचय के मोहताज नहीं है और इनके संस्था के बच्चों ने राज्य ही नहीं देश के विभिन्न संगीत प्रतियोगिता में अपनी गायिका का दम दिखाया और कई पुरस्कार हासिल किए। उन्होंने डॉ रबिंद्र को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता करने की सलाह दी। ताकि नई प्रतिभा निखर सके। उन्होंने कहा कि औरंगाबाद जिले में जितने भी संगीत के कार्यक्रम होते हैं वह बिना दानिका संगीतलय के पूरा नहीं होते। पुस्तक के लेखक अनिल कुमार चंचल ने बताया कि बिराटपुर कई वर्ष पूर्व से ही साहित्य एवं संगीत का स्थल रहा है।
इसी मुहल्ले के ललिता प्रसाद ने नाट्य क्षेत्र में देश में ही नहीं अपितु विदेशों में अपने खास कैरेक्टर को लेकर जगह बनाई। इसी मिट्टी में जन्मे प्रदीप रौशन की लेखनी ने भी देश की साहित्यिक जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी। आज पुस्तक के लोकार्पण एवं संगीत विद्यालय की शाखा का उद्घाटन कर हम अपने अतीत को पुनः दोहराने की कोशिश कर रहे है और आने वाले दिनों में यह क्षेत्र एक बार फिर अपनी उपस्थिति से देश दुनिया को अवगत कराएगा। इस दौरान श्री चंचल ने देश के प्रख्यात शायर स्व प्रदीप कुमार रौशन की गजलों का गायन कर कार्यक्रम में शमा बांध दिया।
अभियंत्रण के क्षेत्र में राज्य की प्रसिद्ध प्रौद्योगिकी संस्थान के सचिव राजेश कुमार सिंह ने भी पुस्तक के लोकार्पण एवं संगीत महाविद्यालय की शाखा खोले जाने को लेकर शुभकामनाएं दी और कहा कि संस्था को अब जिले से निकलकर राज्य के अन्य क्षेत्रों में संगीत की अलख जगाने की जरूरत है। कवि अनुज बेचैन ने प्रेमचंद तुम्हारी याद आती है का पाठ कर मुंशी प्रेमचंद के रचनाओं की प्रासंगिकता को उजागर किया। जबकि कवि नागेंद्र केसरी ने सुनाऊं रात का किस्सा का पाठ कर संवेदना की एक लकीर खींची।
कार्यक्रम में मौजूद शिक्षक नेता अशोक पांडेय ने दानिका संगीतलय की शाखा अन्य राज्यों में भी खोले जाने पर कर दिया। की शाखा अन्य राज्यों में खुलना चाहिए। विधायक प्रतिनिधि प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि कवि संयोग वियोग की कड़ी है।वाल्मीकि ने करुण रस की व्याख्या में इसका प्रयोग किया है।शिव का तांडव नृत्य संगीत का रूप ले लेता है।गजल गायकी में ईरानी घराना का भी योगदान है।उन्होंने बिराटपुर में संगीतलय की शाखा का शुभारंभ कराने में अनिल कुमार चंचल की भूमिका की सराहना की और इसके लिए उन्हें बधाई दी।
इस दौरान धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संगीत महाविद्यालय के निदेशक डॉ रविंद्र ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया और अपने अतीत के संघर्षों को भी सामने रखा। मौके पर हरिनारायण सिंह, राजू सिंहा, मास्टर विकास, सविता सिंहा, अंजली सिंह, शिवांगी सिंह, अमिशा गायकवाड,पत्रकार ओम प्रकाश शर्मा सहित अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम की विशेष प्रस्तुति की गई। प्रेरणा प्रकाश के भाव नृत्य पर लोग भाव विह्वल हो गए।