दाउदनगर( औरंगाबाद)। हिन्दी के महान कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द की 144वीं जयंती मनाई गई तथा विद्यालय के उपस्थित शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं ने महान कथाकार के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए । इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुरेश प्रसाद ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द का पूरा जीवन कठिन संघर्षों का इतिहास रहा।
लेकिन उन्होंने कभी भी कठिनाइयों के सामने शिर नहीं झुकाया और अन्तिम दम तक संघर्ष किया । उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में भी प्रेमचन्द की रचनाओं का काफी महत्वपूर्ण योगदान था ।
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए विद्यालय के वरीय शिक्षक सत्येन्द्र कुमार ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द एक महान जन लेखक थे जिन्होंने हिन्दी के कथा साहित्य को राजाओं महाराजाओं के महलों से बाहर निकालकर उसे न सिर्फ भारत के खेत-खलिहानों के बीच में प्रतिष्ठित किया बल्कि आम तौर पर मेहनतकश आम जनमानस को हीं अपनी रचना का विषय बनाया।
इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक- शिवपूजन कुमार, पुनीता अम्बष्ठा,रुकसाना प्रवीण, इत्यादि शिक्षक सहित बड़ी संख्या में विद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद थीं । शिक्षकों के अलावा विद्यालय के छात्र- मो समीर,सन्नी कुमार,अभय कुमार,
छात्रा- राधिका कुमारी,स्वाति कुमारी,स्नेहा कुमारी,सुषमा कुमारी,खुशी कुमारी,खुशबू कुमारी,सोनम कुमारी,संगीता कुमारी,छोटी कुमारी, रेणु कुमारी,इत्यादि छात्र-छात्राओं ने भी महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए । कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाध्यापक सुरेश प्रसाद ने की जबकि संचालन वरीय शिक्षक सत्येन्द्र कुमार ने किया ।