मोक्षदायिनी पुनपुन बटाने के प्रथम संगम तट पर सैकड़ो पिंडदानियों ने किया प्रथम पिंड का तर्पण 

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औरंगाबाद।पुनपुन तीर्थ विष्णु धाम संगम तट पर पितृ पक्ष के त्रिपाक्षिक पिणड तर्पण के पहले दिन दूरदराज से श्रद्धालु भक्तों का आना-जाना शुरू हो गया है। आज पवित्र पावन मोक्षदायिनी पुनपुन एवं पुण्यदायिनी बटाने के संगम तट पर विष्णु धाम परिसर में सैकड़ो पिण्डानियों ने गया पिंड तर्पण के पूर्व प्रथम पिंड का तर्पण किया।

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तीर्थ पुरोहित कुंदन पाठक एवं पुरुषोत्तम पांडेय ने बताया कि कुछ लोग 17 दिवसीय पितृ तर्पण का कार्यक्रम करते हैं उनका कार्यक्रम अनंत चतुर्दशी से लेकर आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक क्रियान्वित कराई जाती है।

और कुछ लोग आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से कार्यक्रम करते हैं। इसी के दरम्यान आज प्रथम दिवस गया पिंड तर्पण के पूर्व प्रथम पिंड के बेदी संगम के पवित्र घाट पर पिण्डदानियों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंड का तर्पण किया।जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने पिंडदान घाट का अवलोकन किया और बताया कि शास्त्रों में वर्णित है की पुनपुन के प्रथम संगम तट पर श्रद्धालु भक्त पूर्वजों के मोक्ष प्रदान कामना हेतु प्रथम पिंड का तर्पण करते हैं। ऐसा करने से उनके कई पीढ़ी के पूर्वज मोक्ष को प्राप्त करते हैं।यह पुनपुन नदी आदि गंगा के नाम से जानी जाती है।

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गंगा के आने के पहले पुनपुन नदी का आगमन हो चुका था। ऐसी मान्यता है कि पूर्वजों के मोक्ष प्रदान हेतु गंगा को लाया गया था लेकिन गंगा के आने के पूर्व पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करने के लिए जिस नदी के जल से तर्पण किया जाता था वह पवित्र नदी आदि गंगा पुनपुन ही थी। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक पितृपक्ष का कार्यक्रम किया गया है।जिसमें इस संगम घाट पर बिहार के बाहर के राज्य के लोग भी आते हैं यहां तक कि देश-विदेश के लोग भी आकर पिंड तर्पण का कार्य करते हैं।

यह स्थल अनुग्रह नारायण स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूरी पर,जिला मुख्यालय औरंगाबाद से 13 किलोमीटर की दूरी पर,गया मुख्यालय से 100 किलोमीटर की दूरी पर, राजधानी पटना से 125 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है।

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