औरंगाबाद/कुटुंबा-बिहार में कहने के तो कानून का राज है, पर वास्तविक कुछ इससे हट के है.आए दिन अधिकारी की बात कर्मी नहीं सुन रहे है.कर्मियो की मनमानी चलती है.इसका कारण चाहे जो भी रहा हो,पर वर्तमान समय में जिले की शिक्षा व्यवस्था चर्मरा रही है.वरीय अधिकारियो के निर्देश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है.
इसका ज्वलंत उदाहरण प्रखंड क्षेत्र के पल्स टू हाईस्कूल कुटुंबा है.उक्त स्कूल में प्रभारी हेडमास्टर मो फैजूल रहमान के स्थानांतरण के बाद प्रभार का मामला उलझ गया है.हालांकि डीईओ के पत्र लिखने के बाद भी स्थानांतरित हेडमास्टर के कान पर जूं नहीं रेंग रह रहा.वरीय अधिकारियों के अल्टिमेटम के बावजूद भी उक्त स्कूल में प्रभार का आदान प्रदान नहीं हो रहा है.
वर्तमान में उक्त स्कूल के कनीय शिक्षक वारिस खलिल और स्थानांतरित हेडमास्टर फैजूल रहमान मैट्रिक और इटंर उत्तीर्ण बच्चो के सर्टिफिकेट निगर्त कर रहे हैं.वहीं संपूर्ण प्रभार नहीं मिलने से प्रभारी हेडमास्टर डाॅक्टर रामकिशोर किंकर्त्वय बिमूंढ बने हुए है.आखिर वे कर भी क्या सकते हैं,जहां पर डीईओ और डीपीओ के आदेश का कोई असर नही है.
हालांकि बच्चो के अभिभावक लचर व्यवस्था को दोष दे रहें है.स्थानीय संजय कुमार,जीतु तिवारी,अर्जुन पासवान आदि बताते हैं कि यहां के कैसी व्यवस्था है जिससे प्रशासनिक अधिकारी अपने आप का लाचार महसूस कर रहें है.समाजसेवियों ने बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री और सचिव का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए कार्रवाई की मांग की है.
क्या है पूरा मामला
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने पल्स टू-हाई स्कूल कुटुंबा के तत्कालीन प्रभारी हेडमास्टर मो फैजूल रहमान को गत्त 1मार्च 2024 को परमानेंट हेडमास्टर के रूप में प्रोन्नत किया था.इसके साथ हीं उनका स्थानांतरण कुटुंबा से पल्स टू-हाई चिल्हकी अंबा में कर दिया गया था.
वे विभागीय निर्देशानुसार कुटुंबा से विरमित होकर 4मार्च 2024को पल्स टू-हाई चिल्हकी अंबा में पदभार ग्रहण कर लिए थे.इसके बावजूद भी वहां के प्रभारी हेडमास्टर को प्रभार देने से परहेज करते आए.इस बीच बच्चो को काफी परेशानी भी हुई, फिर भी उन्होंने प्रभार हस्तगत कराना उचित नहीं समझा.
इतना हीं नहीं स्थानांतरित हेडमास्टर ने बीच-बीच में स्कूल में व्यवधान भी उपस्थित करने का कोशिश किया.इससे बच्चो को काफी परेशानी हुई.जानकारी के अनुसार यू-डायस और ईशिक्षा कोष में बच्चो का ऑनलाइन इंट्री आज तक बाधित है.इधर 20मार्च 2024को जिला शिक्षा पदाधिकारी के पत्र के आलोक में उक्त स्कूल के शिक्षक डाॅ रामकिशोर को प्रभारी हेडमास्टर बनाया गया.
उन्होंने दर्जनो बार वरीय अधिकारियो को प्रभार दिलाने के पत्र लिखा पर आज तक पहल नहीं की गई.विश्वस्त सूत्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी भी कनीय शिक्षक वारिस खलिल और मो फैजूल रहमान संयुक्त रूप से सर्टिफिकेट निगर्त कर कर हैं.इस सबंध में डीपीओ भोला करण ने बताया कि सर्टिफिकेट निगर्त करने का अधिकार उसी हेडमास्टर को है जो वर्तमान में कार्यरत है.दूसरे स्कूल के हेडमास्टर द्वारा निगर्त सर्टिफिकेट इंवैलेट है.
सर्टिफिकेट लेने वाले बच्चो का भविष्य अधर में
उक्त हाईस्कूल से जो बच्चे इस बार मैट्रिक और इटंर उत्तीर्ण किए हैं उन्हें तथाकथित हेडमास्टर द्वारा एसएलसी दिया जा रहा है.सरकारी सेवा के दौरान दस्तावेज वेरिफिकेशन होने पर उनकी नौकरी जा सकती है.सबसे बड़ी बात तो यह है कि सर्टिफिकेट में बच्चो के नाम और माता-पिता के नाम में भारी त्रुटि की गई है.कई प्रमाण-पत्र में बच्चो के घर का पत्ता नहीं अंकित है.यहां तक कि रिसीविंग प्रति और छात्र प्रति में अलग-अलग ढंग से नाम दर्शाया गया है.
ऐसे में छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में है.नाम नहीं छापने के सर्त पर छात्राएं बताती है कि सर्टिफिकेट लेने के लिए कनीय शिक्षक को पैसा देना पड़ता है.पैसा जमा करने पर स्कूल में सर्टिफिकेट न देकर बाजार में उपलब्ध कराते है.विदित हो कि बच्चो को इटंर और स्नातक में नामांकन के लिए मोटी रकम देकर सर्टिफिकेट प्राप्त करना शौक नहीं मजबूरी है.
क्या बताते है कानून विद्ध
इस संबंध में उच्च न्यायालय पटना के वरीय अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार वर्मा से संपर्क करने पर बताया कि बच्चों का फर्जी तौर पर सर्टिफिकेट निगर्त करना संज्ञेय अपराध के श्रेणी में है.ऐसे मे मामले में दोषी के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कर सुसंगत धाराओं के तहत्त कार्रवाई होनी चाहिए.उन्होंने बताया कि फर्जी सर्टिफिकेट निगर्त करना छात्र हित में नही है.कनीय शिक्षक और स्थानांतरित हेडमास्टर छात्र-छात्राओं के भविष्य साथ खिलवाड़ कर रहे है.
क्या बताते हैं डीईओ
इस संबंध में डीईओ सुरेंद्र कुमार ने बताया कि पूर्व में भी इस तरह की शिकायत मिली थी.मामले की जांच करने के लिए कुटुंबा बीईओ को निर्देश दिया गया थी.इसके बावजूद भी स्थानांतरित हेडमास्टर हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.