औरंगाबाद।शहर के विवेकानंद वीआईपी स्कूल में आज दसवीं के उत्प्रेषित छात्र-छात्राओं के लिए मंगलाशीष कार्यक्रम आयोजित की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन निदेशक डॉ शंभू शरण सिंह, चेयरमैन मनीष वत्स, उपप्राचार्य संजीव कुमार ने स्वामी विवेकानंद के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर वर्ग नवम के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई। छात्रों ने रोचक नृत्य, नाटक, भाषण द्वारा अपने विद्यालय में गुजारे समय को याद किया। निदेशक डॉ सिंह ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन विविध चुनौतियों से भरा होता है।संघर्ष ही हमारे जीवन को परिष्कृत और परिमार्जित कर और बेहतर बनाते हैं।हमें संघर्षो को स्वीकार कर बडी तन्मयता से धैर्यपूर्वक सामना करना चाहिए। संयम और दृढ़ विश्वास ही आपको सफलता के शिखर तक ले जाने में स्तंभ का काम करेंगे।
विद्यालय के स्वस्थ और अनुशासित माहौल में आपने जो भी सीखा है वह भविष्य निर्माण में एक कड़ी के रूप में कार्य करेगा। आपको शिक्षकों को कठोरता और मृदुता दोनों का सामना करना पड़ा होगा,जो मनुष्य निर्माण की जड़ में खाद का काम करता है। आने वाले समय मे आपसब विविध क्षेत्रों और सेवाओं में जाएंगे।जहाँ आपको यह अनुशासन आपको उत्कृष्टता प्रदान करेगा।
इस अवसर पर चेयरमैन मनीष वत्स ने कहा कि विद्यालय में सीखे कर कौशल आपके व्यक्तित्व को निखारने में एक उपयोगी टूल्स साबित होंगे। भावुक बच्चों को ढांढस देते हुए उन्होंने कहा कि यह जीवन मे चलने वाली एक अहम प्रक्रिया है जिसे हमें सहर्ष स्वीकार करना होगा। पूरी तन्मयता से पढ़ाई कर बोर्ड परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करें।आप जहाँ भी जाएं अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करते रहें, राष्ट्र प्रथम की भावना से कार्यशील रहें।
आपने जो कुछ भी सीखा है उसका सदुपयोग राष्ट्रनिर्माण में करे। इस अवसर पर कई बच्चों ने अपनी भावना व्यक्त करते भावुक हुए। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए को-ऑर्डिनेटर सूची कुमारी ने कहा कि विवेकानंद का मानना था कि हर किसी में दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता है।
“उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए!” यह उद्धरण छात्रों को अपनी शिक्षा और प्रतिभा का उपयोग दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए प्रेरित करता है।हमें अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन द्वारा परिवार, समाज और राष्ट्र को उन्नत बनाने हेतु प्रयत्नशील रहना चाहिए।इस अवसर पर समस्त शिक्षक उपस्थित रहें।