चिकित्सा विज्ञान पर अंधविश्वास भारी,झाड़फुंक में गई एक किशोर की जान

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औरंगाबाद।हम आधुनिक युग में जी रहे हैं जहां किसी भी प्रकार के तिलिस्म एवं अंध विश्वास को नही मानते।लेकिन आज भी ग्रामीण परिवेश में अंधविश्वास की जड़े लोगों के हृदय में इतनी गहरी ही गई है कि वह चिकित्सा विज्ञान को एक सिरे से नकार देता है और स्थिति यह हो जाती है कि झाड़फुंक, ओझाई में लोगों की जान चली जाती है।

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ऐसा ही एक मामला बारुण के बभंडीह गांव से सामने आया जहां सर्पदंश के बाद किए गए झाडफुंक से एक किशोर की जान चली गई।प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव के परमेश्वर ठाकुर के 17 वर्षीय बेटे नीतीश कुमार को बुधवार की रात एक विशाल सर्प ने डंस लिया।उसके बाद परिजन उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे।जहां प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए चिकित्सकों ने हायर सेंटर रेफर कर दिया।

मगर ऐसी जानकारी मिली कि परिजन उसे हायर सेंटर न ले जाकर कही झाड़फुक कराने लगे।गुरुवार को दिनभर यह सिलसिला चला और इस दौरान कई ओझा गुणी के पास परिजन चक्कर लगाते रहे।इसी बीच किसी वैध ने किशोर के शरीर में ज्यादा जहर फैलने की बात बताकर अस्पताल जाकर जहर निकलवाने की बात बताई।

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परिजन किशोर को लेकर मगध मेडिकल कॉलेज गया जा ही रहे थे कि आमस के पास किशोर किंताबियत ज्यादा बिगड़ गई।जिसे लेकर परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आमस पहुंचे जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन किशोर को मेडिकल कॉलेज गया न ले जाकर पुनः सदर अस्पताल पहुंचे लेकिन यहां भी चिकित्सक ने किशोर को मृत बताया।

फिर भी परिजनों को चिकित्सक की बातों पर विश्वास नहीं हुआ तो उसे लेकर मदनपुर के वार गांव स्थित बकस बाबा के पास पहुंचे जहां यह मान्यता है कि सर्पदंश से ग्रसित लोगों का वहां स्वतः इलाज होता है।मगर परिजनों को वहां भी निराशा ही हाथ लगी।इस प्रकार झाडफुंक के चक्कर में एक किशोर की जान चली गई।

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