औरंगाबाद। जब जब गर्मी बढ़ती है तो बिजली विभाग को जैसे लकवा मार जाता है। अगर जिला मुख्यालय में इस विगत माह में औसत बिजली सप्लाई की बात करें तो स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही है। भूले बिसरे अगर बिजली आ भी गई तो लो वोल्टेज की समस्या से दो चार होना लाज़मी है। ग्रामीण क्षेत्रों में पॉवर सप्लाई तो भगवान भरोसे ही बोला जा सकता है। स्थिति इतनी ख़राब है कि लोग मोबाइल भी ठीक से चार्ज नहीं कर पा रहे हैं।
गर्मी हो या बारिश, बिजली सप्लाई रहेगी बाधित!
20 दिन के लगातार गर्मी और लू के बाद बुधवार की शाम मौसम में बदलाव देखने को मिला। छिट−पुट स्थानों पर हुई बारिश के कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई है लेकिन पॉवर कट आम दिनों जैसी ही है। जिले में पॉवर ट्रांसमिशन लाइन का इंफ्रास्ट्रक्चर इतना जर्जर हो चुका है कि हल्की बारिश या हवा चलने पर भी बत्ती गुल हो जाती है और उपभोक्ता अपनी किस्मत पर रोने को मजबूर हो जाते हैं।
अधिकारी नहीं उठाते हैं फोन! ऑनलाइन शिकायत सिस्टम भी है हाथी का दांत
इतनी समस्याओं के बाद भी आम उपभोक्ताओं की सुनने वाला कोई नहीं है। बिजली से संबंधित शिकायतों को अधिकारी भी सुनने से कतराते हैं। यहां तक कि वेबसाइट पर दिए गए नम्बर पर संबंधित पदाधिकारी फोन तक नहीं उठाते। बिजली कंपनी के द्वारा एप और वेबसाईट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाने की भी व्यवस्था की गई है लेकिन वो भी हाथी के दांत के अलावा कुछ और नहीं है। वहां आपकी शिकायत तो दर्ज हो जाएगी लेकिन उसपर अमल नहीं होता।
इसकी हकीकत यह है कि दो दिन पूर्व पठान टोली में चुप शाह मजार के पास बिजली विभाग के द्वारा खींचा गया तार गल कर गिर गया।वार्ड पार्षद सिकंदर हयात के प्रतिनिधि मजहर ने लगभग 50- 50 बार दो अभियंताओं को कॉल लगाया मगर कॉल रिसीव नहीं हुआ।अब सोचा जा सकता है कि उस मुहल्ले की और वहां के लोगों की स्थिति क्या हुई होगी।लोगों ने किसी तरह मिस्त्री को पकड़कर तार को ठीक करवाया।खबरी चाचा प्रशासन से अनुरोध करता है कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर संजीदगी से कारवाई की जाए।
औरंगाबाद के विद्युत विभाग की हकीकत बरसात के दिनों में देखने को मिलती है।विभाग के अधिकारी मौसम विभाग के द्वारा दिए गए निर्देश का अक्षरशः पालन करते हैं।मौसम विभाग की सूचना यदि आ जाए कि औरंगाबाद में दो से तीन घंटे में हल्के मेघ गर्जन के साथ बारिश होगी। तो इस सूचना के मिलते ही दो घंटे के पहले ही बत्ती गुल हो जाएगी और यह स्थिति दो से तीन घंटे तक रहती है।हल्की हवा भी चली तो भी बत्ती गुल।आखिर ऐसा क्यों यह सवाल हर नागरिक के मन में है।
अन्य राज्यों से महंगी है बिहार की बिजली! क्वालिटी सर्विस देने में फिर भी फिसड्डी!
बिहार में विद्युत वितरण के लिए दो डिस्कॉम कंपनियां बनाई गई थीं नॉर्थ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड और साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड। औरंगाबाद में बिजली वितरण की जिम्मेदारी साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के हिस्से में है। शुरुआत में ऐसा उम्मीद किया गया था कि इससे बिहार में बिजली की स्थिति में सुधार होगा लेकिन हुआ बिलकुल उल्टा। बिजली की दरें लगातार बढ़ती चली गईं लेकिन सर्विस क्वालिटी में सुधार ना हो सका। जबकि देश में कई ऐसे राज्य हैं जहां कि बिजली बिहार से सस्ती और क्वालिटी बिहार से कहीं अच्छी हैं।