मगध विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा का अनावरण

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गया।अनुग्रह मेमोरियल महाविद्यालय, गया के प्रांगण में स्वामी विवेकानन्द जी की प्रतिमा का अनावरण एवं उद्यान का उद्घाटन किया गया है। इसके साथ ही साथ आई.क्यू.एस.सी. द्वारा ‘‘भारतीय ज्ञान परम्परा के संवाहक स्वामी विवेकानन्द: एक विमर्श’’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम की शुरूवात डाॅ. धनन्जय कुमार के नेतृत्व में एन.सी.सी. कैडेट द्वारा गार्ड आफ आनर

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के साथ बिहार विभूति डाॅ. अनुग्रह नारायण सिंह एवं महाविद्यालय के संस्थापक सचिव स्व. रमाबल्लभ प्रसाद सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि कर किया गया है। तत्पश्चात मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कुलपति, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया प्रो. शशी प्रताप शाही के कर कमलों द्वारा विशिष्ट अतिथि स्वामी विवेकानन्द गिरि महंत, श्री बड़ी काली जी मंदिर, लखनऊ, सन्यासी बोधगया मठ की गरीमामय उपस्थिति में स्वामी विवेकानन्द जी की मूर्ति का अनावरण

किया गया तथा उद्यान का उद्घाटन किया गया है। इसके उपरान्त होने वाले संगोष्ठी में दीप प्रज्जवलन के साथ कुलगीत एवं स्वागत गान से सभा की औपचारिक शुरूआत की गई है। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य प्रो. राजेश कुमार सिंह ने सभी अतिथियों एवं विद्वतजनो का स्वागत किया है। प्रथम वक्ता के रूप मे डाॅ. मानिक मोहन शुक्ला विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन एवं संदेश को श्रोताओं के समक्ष रखा है।

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विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित स्वामी विवेकानन्द गिरि ने भारतीय ज्ञान परम्परा की महत्ता पर प्रकाश डाला है। उन्होने कहा कि ज्ञान ही बन्धन से मुक्त होने का मार्ग है। धारते इति धर्मम की व्याख्या उन्होने सरल एवं स्पष्ट शब्दों में की है। इसके उपरान्त अखिल भारतीय विद्यार्थी परिष्द दक्षिण बिहार के प्रदेश पदाधिकारी

सूरज सिंह ने सभा को सम्बोधित करते हुए छात्रों की ओर से महाविद्यालय में कुछ नये पाठ्यक्रम जैसे एम बी ए, एम सी ए, एल एस डब्लू शुरू करने एवं आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए आग्रह किया है। अपने अध्यक्षीय भाषण में

कुलपति, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया प्रो. शशी प्रताप शाही ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के ज्ञान एवं कर्मशील के मार्ग को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समाहित करते हुए शिक्षको एवं छात्रों को अथक परिश्रम करने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही उन्होने यह आश्वासन दिया कि नयी शिक्षा नीति के अनुरूप नये पाठ्यक्रमों को जल्द से जल्द शुरू किया जायेगा तथा एन ए ए सी के मद्देनजर महाविद्यालय के आधारभूत संरचनाओं के विकास में मद्द की

जायेगी। इस अवसर पर स्वामी सत्यानन्द गिरि, सन्यासी बोधगया मठ , डाॅ. सतीश चन्द्र, प्राचार्य गया काॅलेज गया, डाॅ. सत्येन्द्र प्रजापती , प्राचार्य जगजीवन महाविद्यालय, गया, डाॅ. सहदेव बाउरी, प्रभारी प्राचार्य जी.बी.एम. काॅलेज, गया, डाॅ गोपाल सिंह, निदेशक प्रबंध विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया इत्यादि उपस्थित रहे हैं। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में विकास प्रताप सिंह, ए.एम.

काॅलेज, गया की मुख्य भूमिका रही है। महाविद्यालय के समस्त शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी सहित छात्र-छात्रओं ने उत्साहपूर्वक इस कार्यक्रम में भाग लिया है। मंच संचालन डाॅ. श्वेता सिंह, सहायक प्राध्यापक दर्शनशास्त्र विभाग ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. मोहन सिंह मनोविज्ञान विभाग ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगाान के द्वारा किया गया है।

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