प्रो.पवनेश कुमार ने शोध और नवाचार को बताया विकसित भारत का आधार
मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के राधाकृष्णन सभागार में व्याख्यान का आयोजन किया गया। “रोल ऑफ़ रिसर्च एंड इन्नोवेशन इन द कन्टेक्स्ट ऑफ एन.ई.पी. 2020: ए पाथवे टुवर्ड्स विकसित भारत @2047” विषय पर आधारित इस कार्यक्रम का आयोजन प्रबंधन विभाग, गृह विज्ञान, एलएसडब्ल्यू विभाग एवं एन.ई.पी. प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में तथा आईक्यूएसी के संरक्षण में संपन्न हुआ।
मुख्य वक्ता के रूप में इग्नू (IGNOU) के प्रो पवनेश कुमार ने उपस्थित होकर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। अपने विद्वत्तापूर्ण व्याख्यान में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को भारत के शैक्षिक और तकनीकी पुनर्जागरण की आधारशिला बताया। उन्होंने राधाकृष्णन, मुदलियार और कस्तूरीरंगन आयोगों की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि एनईपी 2020 एक
समावेशी, समतामूलक और नवाचार-आधारित शिक्षा व्यवस्था की दिशा में ठोस कदम है। प्रो पवनेश ने कहा कि “शोध और नवाचार” को राष्ट्रीय शिक्षा नीति का केंद्रबिंदु बनाकर भारत को 2047 तक आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से उन्नत और वैश्विक नेतृत्वकारी राष्ट्र के रूप में उभारने की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में क्रिटिकल थिंकिंग, इनक्यूबेशन सेंटर, अनुभवजन्य शिक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मातृभाषा में शिक्षा और भारतीय ज्ञान
परंपरा को मुख्यधारा में लाने की दिशा में बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने “वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन” जैसे यूजीसी के नवाचारों को उल्लेखनीय बताया और कहा कि उच्च शिक्षा संस्थान अब मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च हब के रूप में विकसित किए जाएंगे, जिससे देश में स्टार्टअप संस्कृति को गति मिलेगी और युवा केवल नौकरी खोजने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनेंगे।
कार्यक्रम का संयोजन प्रबंधन विभाग के निदेशक डॉ गोपाल सिंह, सह-संयोजन प्रो मुकेश कुमार (आईक्यूएसी समन्वयक) और आयोजन सचिवों में डॉ दीपशिखा, डॉ वंदना कुमारी, डॉ अब्दुल रहमान, डॉ इमरान आलम, डॉ रमला फातिमा एवं डॉ राजेश कुमार की उल्लेखनीय भूमिका रही। स्वागत भाषण प्रो निभा सिंह (पूर्व विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग) ने प्रस्तुत किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ वंदना कुमारी (एलएसडब्ल्यू विभाग) ने किया।
मंच-संचालन डॉ प्रियंका सिंह, एन ई पी समन्वयक एवं डॉ एकता वर्मा, सारथी समन्वयक ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अनेक विभागों के शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी और एनईपी सारथी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।