राजनीतिक में फेक वीडियो के जरीए दुष्प्रचार स्वच्छ लोकतंत्र के लिए घातक

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                        राजेश मिश्रा 

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लोकसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे के चरण में बढ़ रही है, वैसे-वैसे मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए फेक वीडियो के सहारे राजनीतिक दलों के द्वारा मतदाताओं को भ्रामक प्रचार के जरिए डराया जा रहा है।

और अपने पक्ष में करने के लिए दुष्प्रचार किया जा रहा है,जो की सीधी तौर पर कहे तो स्वच्छ लोकतंत्र के लिए घातक है।भारत में चुनावी समर जारी है। इस चुनावी मौसम में शब्दों के बाण चलाए जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के द्वारा सत्ता में आने पर देश को एक-सरे करने की बात कही जा रही है।

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वहीं भारतीय जनता पार्टी के द्वारा मंगलसूत्र पर राजनीति की जा रही है। यानी फिर विकासात्मक मुद्दे पूरी तरह से गायब हो गए।साथ ही अब फेक वीडियो के जरिए गलत जानकारी को तेजी से फैलाया जा रहा है। ऐसा ही एक फेक वीडियो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का आया है जो कि उनके द्वारा बताया जा रहा है कि हम आरक्षण को पूरी तरह से खत्म कर देंगे मीडिया में चल रहे खबरों के मुताबिक इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर आरोप लगा कि अमित शाह के फेक वीडियो इनके द्वारा पोस्ट को शेयर किया गया और फिर डिलीट कर दिया गया। यह हमारे देश के दुर्भाग्य की बात है कि विकासात्मक मुद्दों को दरकिनार कर गलत तरीके से जानकारी आम जनमानस के बीच राजनीतिक दलों के द्वारा रखी जा रही है।

जो कि किसी दृष्टिकोण से जायज नहीं है,हलांकि इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां भी हुई है।लेकिन देखना होगा कि एक ऊंचे ओहदे पद पर बैठे मुख्यमंत्री के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।अगर साधारण व्यक्ति के द्वारा इस प्रकार की हिमाकत की जाती तो अब तक जेल में चक्की पीस रहा होता।

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