अद्भुत व मनोरम है अंबा स्थित चपरा का पंचदेव धाम श्रद्धा और भक्ति के साथ एक सुखद अहसास की होती है अनुभूति 

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                 प्रदीप भारद्वाज की रिपोर्ट

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बिहार में चित्तौड़गढ़ के रूप में प्रसिद्ध औरंगाबाद की ऐतिहासिक एवं धार्मिक पहचान स्थापित है। वैसे तो यहां कई पर्यटन स्थल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। जैसे विश्व प्रसिद्ध देव का सूर्य मंदिर मदनपुर में स्थित उम्गेश्वरी मंदिर वास्तुकला की उत्कृष्टता का प्रमाण हैं। इसके अलावा अंबा का सतबहिनी मंदिर नवीनगर का गजना धाम हसपुरा में अमझर शरीफ गोह अंतर्गत देवकुंड धाम सहित कई अन्य धरोहर शामिल हैं।

इसी कड़ी में धार्मिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है औरंगाबाद से 18 किलोमीटर दूर अंबा के समीप चपरा गांव में स्थित पंचदेव धाम परिसर। यहां की भव्यता दिव्यता और सुंदरता हर किसी को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है। आस्था और विश्वास के साथ यह वास्तव में अद्भुत व मनोरम स्थल है। यहां आने के बाद एक सुखद अहसास की अनुभूति होती है।

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यूं तो मंदिर का निर्माण 2003 में शुरू हुआ था। एक बड़े भूभाग में फैला मंदिर का निर्माण कार्य निर्बाध और अनवरत जारी रहा। आखिरकार वर्ष 2017 में प्राण प्रतिष्ठा के साथ मंदिर पूर्ण रूप से तैयार हुआ। जिसके बाद यहां लोगों का आना जाना शुरू हो गया। पांच मंदिरों वाले विशाल परिसर में एक विशाल सरोवर भी है। सरोवर के बीच भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है।

पंचदेव धाम के पुजारी ऋतु राज पाठक ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह भारतीय जनसेवा परिषद की इकाई है। अंबा के समीप स्थित चपरा गांव निवासी समाजसेवी अशोक सिंह परिषद के अध्यक्ष होने के साथ इस धाम के संस्थापक भी हैं। इन्ही के अथक परिश्रम और प्रयास से मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कराया गया। वर्तमान में मंदिर के आसपास प्राकृतिक खेती गौ आधारित उत्पाद और गौशाला के साथ भविष्य में गुरुकुल मां गायत्री कृपा कल्याणा आरोग्य केंद्र शुरू करने की भी योजना प्रस्तावित है।

21 एकड़ 68 डिसमिल भूमि में फैले भव्य और विशाल पंचदेव धाम परिसर में दाखिल होने से पहले श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर के बाहर दक्षिण दिशा में स्थित चपरा गांव के बीचो बीच स्थित मंदिर में प्रथम पूज्य गणेश की मूर्ति स्थापित की गई है। जहां पूजा अनुष्ठान के बाद विशाल सुंदर आकर्षक और भव्य द्वार से होकर पंचदेव धाम परिसर में दाखिल होना पड़ता है।

पेड़ पौधों और फूलों की सुंदर बागवानी के से घिरे पंचदेव धाम परिसर शाम ढलते ही मंदिरों के गगनचुंबी गुम्बद सहित मुख्य द्वार रोशनी में सराबोर हो जाता है। विभिन्न रंगों में झिलमिलाता एलईडी लाइटों का रंगीन नजारा दूर से ही काफ़ी आकर्षक लगता है। इस मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है। प्रत्येक वर्ष सामूहिक विवाह वार्षिकोत्सव समारोह एवं छठ पर्व के दौरान यहां श्रद्धालुओं का भारी संख्या मे जमावड़ा होता है।

सच्चाई यह है कि पंचदेव धाम के कारण औरंगाबाद जिला के कुटुंबा प्रखंड की जगदीशपुर पंचायत अंतर्गत चपरा गांव को नई पहचान मिली है। यह स्थान अंबा के काफ़ी करीब है। यह श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यही कारण है कि छठ पर्व के अवसर पर मंदिर की आस्था हजारों व्रतियों एवं श्रद्धालुओं को यहां खींच लाती है। यदि इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो यहां रोजगार के अवसर का भी सृजन होगा। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से स्थानीय स्तर पर लोगों को कई प्रकार के छोटे-छोटे रोजगार के अवसर मिलेंगे।

पंचदेव धाम में स्थित श्री गणेश मंदिर के पुजारी विनय तिवारी श्रीराम मंदिर के पुजारी शंभू नाथ पांडेय हनुमान मंदिर के पुजारी दूधेश्वर पांडेय दुर्गा मंदिर के पुजारी विजय तिवारी शिव मंदिर के पुजारी परशुराम तिवारी ने बताया कि अंबा कुटुंबा बेदौलिया चिल्हकी बभंडी तमसी विशुनपुर रसलपुर रिसियप गोपालपुर रसोइया चकुआ लभरी दधपा सहित विभिन्न क्षेत्रों से हजारों की संख्या में व्रती एवं श्रद्धालु छठ पूजा के अवसर पर यहां पहुंचकर मंदिर परिसर स्थित विशाल तालाब में भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं। पर्व त्यौहार के मौक़े पर यहां आस्था का जन सैलाब उमड़ता है।

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