राजेश मिश्रा
आने वाले पीढ़ी सिर्फ कहानियां में ही पढ़ेगी
विजय दशमी के दिन नीलकंठ पंछी के दर्शन शुभ माना गया है नीलकंठ को भगवान शिव का दूसरा रूप माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से हमारे तमाम कार्य पूरे होते हैं। बहुत से लोग दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन के लिए आतुर रहते है किसी भी मुद्रा में अगर नीलकंठ पक्षी आपको मिल जाये तो ये बहुत ही शुभ साबित होता हैं सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि दशहरा के दिन यदि नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएं तो ये आपके भविष्य के लिए विशेष संकेत हैं मान्यता है कि नीलकंठ पक्षी भगवान शंकर का प्रतिनिधित्व करता है।
पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम दशानन का वध करने जा रहे थे। तब उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। उसी के बाद उन्हें लंकेश का वध करने में सफलता प्राप्त हुई। कहा जाता है कि नीलकंठ पक्षी के दर्शन मात्र से व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है। उसे हर कार्य में सफलता मिलती है।यह कहानी नहीं सच्चाई है ,जो मैं आप लोगों को बताने जा रहा हूं।
पीठ पर नीली धारी तथा नुकीली चोंच वाला खूबसूरत पंछी नीलकंठ आज विलुप्त होने के कगार पर है। आए दिन उसकी संख्या में गिरावट आने से उसके अस्तित्व का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। आबादी से दूर खेत खलियान और बाग बगीचों में रहने वाले इस एकांत प्रिय पंछी की संख्या घट रही है।फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े मकोड़ों का आहार करने के कारण इसे किसानों का मित्र कहा जाता है।आजकल कम समय में अधिक से अधिक उत्पाद करने के लोगों में किसान कीटनाशक रसायनों तथा उर्वरकों का बेहिसाब अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं।
ऐसे उर्वरको के प्रयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि तो हुई, मगर यह नीलकंठ के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। ऐसे कृषि उत्पाद तथा कीड़ा मकोड़ा खाने से कीटनाशकों का जहर नीलकंठ के शरीर में प्रविष्ट हो रहा है तथा यही उनके लिए काल साबित हो रहा है।वर्तमान समय में नीलकंठ पक्षी लुप्त हो रहें हैं।आने वाली पीढ़ी इन्हें सिर्फ कहानियों में ही पढ़ेगी।